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लेखनी कहानी -14-Oct-2022 प्रेम त्रिकोण

क्या गजब करती हो प्रतिलिपि जी ? प्रेम की भी कोई आकृति होती है क्या ? हमने तो केवल यही सुना था कि प्रेम बहुत गहरा होता है सागर की तरह । प्रेम बहुत ऊंचा होता है आसमान की तरह । प्रेम बहुत गाढ़ा होता है "भक्ति" की तरह । पर यह कभी नहीं सुना कि प्रेम त्रिकोण, चतुर्कोण, पञ्चकोण, षटकोण या अन्य कोणीय होता है । हमने तो यह भी नहीं सुना कि प्रेम गोलाकार या सिलेंडर आकृति वाला होता है । हो सकता है कि आपने देखा, सुना हो । अगर ऐसा है तो आप भाग्यशाली हैं जो आपने प्रेम के इतने कोण देख लिये । हमने तो महज एक कोण ही देखा था जिसकी मार से अब तक घायल पड़े हैं । 

पर एक कहावत है कि "ब्याह नहीं हुआ तो क्या हुआ, बारात में तो गये हैं" । कुछ कुछ इसी तरह एक लेखक क्या दुनिया की समस्त वस्तुओं, भावों को देख पाता है ? शायद नहीं । पर इसके बावजूद वह सब विषयों पर धाराप्रवाह लिख लेता है । इससे यह सिद्ध हुआ कि एक लेखक के लिए देखना जरूरी नहीं है बल्कि जरूरी है "कल्पना" के घोड़े दौड़ाना । वैसे लेखकों के पास में दौड़ाने के लिए और होता ही क्या है ? वैसे भी किसी भी चीज को दौड़ाने के लिए "पैसे" चाहिए । बस, लेखक लोग यहीं मात खा जाते हैं । लेखकों के पास कल्पना है, छन्द अलंकार हैं । मुहावरे और कहावतें हैं । भाषा शास्त्र है । लच्छेदार भाषण हैं । चिकनी चुपड़ी बातें हैं । और बस, इतना क्या कम है ? सब कुछ है पर पैसा नहीं है । बिना पैसे के कुछ भी दौड़ता नहीं है । 

अब वापस मूल प्रश्न पर आते हैं । प्रेम क्या त्रिकोणीय होता है ? बड़ा गंभीर प्रश्न था , यक्ष प्रश्न से भी गंभीर । गंभीरता तो हमसे वैसे भी एक कोस दूर रहती है किसी षोडशी की तरह । नजर भर कर देखती तक नहीं है । तो हम भला इतने गंभीर विषय पर क्यों माथापच्ची करें ? माथा हो तब तो माथापच्ची करें ना ? 

लेकिन जब यह प्रश्न छमिया भाभी ने पूछ लिया तब तो बताना जरूरी हो गया है । छमिया भाभी अगर कुछ पूछें तो बताना हमारा अधिकार है , ऐसा नहीं है, बल्कि बताने की जिम्मेदारी है हमारी । एक तो वे वैसे भी इतनी प्यारी हैं कि हम उनकी एक झलक पाने को तरसते रहते हैं । उस पर उनकी आवाज इतनी मधुर है कि जब वे बोलती हैं तो लगता है कि जैसे फूल झर रहे हैं उनके श्री मुख से ।

लेकिन हम सोच में पड़ गये कि क्या प्रेम त्रिकोण होता है ? एक पल को यदि यह मान भी लें कि प्रेम त्रिकोण होता है तो अगला प्रश्न होगा कि कौन सा त्रिकोण ? समकोण वाला या न्यून कोण वाला या अधिक कोण वाला ? हम हैरत में पड़ गये । हमारा समस्त ज्ञान आज शायद घास चरने चला गया था । 

फिर हमने पता किया कि इसमें क्या कोई लाइफलाइन का प्रावधान है ? हम सीधे "लंबू जी" के पास पहुंच गये । वह कहने लगे " भैया प्रेम त्रिकोण नहीं प्रेम तो बहुकोणीय होता है । अब हमसे क्या पूछते हो , सब दुनिया जानती है हमारे प्रेम के किस्से । अब आप जल्दी से यहां से तशरीफ ले जायें । अगर जया जी आ गईं तो वे हमारी थाली में इतने छेद करेंगी कि हम सोचने पर विवश हो जायेंगे कि ये थाली है या चलनी ? दफा हो जाओ यहां से" । 

बड़े बेआबरू होकर हम वहां से आ गये । रास्ते में "मिस्टर परफेक्शनिस्ट" मिल गये । मैंने सोचा इन्हें तो जरूर पता होगा आखिर इन्होंने तो पहले प्रेम किया फिर निकाह । उसके बाद फिर किसी और से प्रेम किया । पहली वाली को तलाक दिया और दूसरी से फिर से निकाह कर लिया । लोग कह रहे हैं कि उन्हें फिर से किसी और से प्रेम हो गया है । इसीलिए तो दूसरी को तलाक दे दिया है । अब देखते हैं कि तीसरी बार निकाह पढते हैं या नहीं ? क्या यह निकाह अंतिम होगा या अभी और आगे संख्या बढती जायेगी ? इतने अनुभवी आदमी से प्रेम की "आकृति" के बारे में जानने के लिए हैं हमने उनसे पूछा 
"ये प्रेम त्रिकोण क्या है जी" 
"मुझे तो पता नहीं जी । मैं तो बस प्रेम का एक ही कोण जानता हूं । आज जिससे प्यार करता हूं वही प्रेम है" । 
"पुरानी वालियों से क्या प्यार नहीं था" ? 
"कौन साला गधा कहता है कि नहीं था । एक बार में एक से ही करता हूं प्रेम । जब दूसरी से करता हूं तो पहली वाली को तलाक दे देता हूं । तो आप ही बताइये कि प्रेम का एक ही कोण हुआ ना " ? 
हम चक्कर में पड़ गये । साला ई गोला, ऊ गोला करके हमें गोल गोल घुमा दिया और मीठी गोली देकर खुद "गोल" हो गये ! 

हम आगे चल दिये । रास्ते में एक भाईजान मिल गये । लोग कहते हैं कि इन्हें तो रोज "नया माल" चाहिए  । इसलिए अभी तक कुंवारे बैठे हैं । जिन लड़कियों ने इन्हें खुद के लिए देखा था वही लड़कियां इन्हें अब अपनी लड़कियों के लिए देख रही हैं । प्रेम के बारे में ये भाईजान सब कुछ जानते होंगे क्योंकि ज्यादातर फिल्मों में इनका नाम "प्रेम" ही होता था । 

हमें देखते ही वे कन्नी काट गये । कहने लगे "बिग बॉस में व्यस्त हूं । बाद में बात करेंगे" 
"अरे भाईजान,  आप तो प्रेम पहेली का जवाब दे जाओ कम से कम" ? 
वे कहने लगे " मैं तो एक ही प्रेम को जानता हूं "रात नयी,  माल नया" बस, यही प्रेम है " । 

हम बड़े कन्फ्यूजनिया गये थे । कोई कुछ कह रहा है कोई कुछ । अंत में एक अठारह बरस की "आधुनिका" मिल गई ।हमने उससे पूछा तो वह खिलखिलाकर हंस पड़ी । कहने लगी "आजकल एक से काम नहीं चलता है अंकल । चार पांच ब्वॉय फ्रेंड्स रखने पड़ते हैं । कोई क्या लाता है कोई क्या । इसलिए इतने सारे रखने पड़ते हैं " 

हम आश्चर्य चकित रह गये जमाने की तरक्की देखकर । पर हम इतना तो समझ गये थे कि प्रेम त्रिकोणीय नहीं हो सकता है । यह तो गोल होता होगा तभी तो आदमी "रपट" जाता है या फिसल जाता है । दिल तो फिसलने के मामले में अव्वल है । जहां भी चांद जैसा मुखड़ा दिखाई दिया वहीं पर दिल फिसल गया । अब तो पक्का यकीन हो गया कि प्रेम त्रिकोण नहीं गोल होता है । 

श्री हरि 
14.10.22 


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10 Comments

Seema Priyadarshini sahay

16-Oct-2022 10:17 PM

बेहतरीन रचना

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Sadhna mishra

16-Oct-2022 03:53 PM

Very nice

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Mithi . S

15-Oct-2022 10:31 PM

Nice post

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